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💞 बड़ी सोच का बड़ा जादू 💞दिखावा ना करे!मैनेजमेंट कीशिक्षा प्राप्त एक युवा नौजवान की नौकरी लग जाती है, उसे कंपनी की और सेकाम करने के लिए अलग से एक केबिन दे दिया जाता है। वह नौजवान जब पहले दिन ऑफिस जाताहै और बैठ कर अपने शानदार केबिन को निहार रहा होता है तभी दरवाजा खट-खटाने कीआवाज आती है दरवाजे पर एक साधारण सा व्यक्ति रहता है, पर उसे अंदरआने कहनेँ के बजाय वह युवा व्यक्ति उसे आधा घँटाबाहर इंतजार करनेँ के लिए कहता है। आधा घँटा बीतनेँ के पश्चात वह आदमी पुन: ऑफिस के अंदर जानेँ की अनुमति मांगता है, उसे अंदर आते देख युवक टेलीफोन से बात करना शुरु कर देता है. वह फोन पर बहुतसारे पैसोँ की बातेँ करता है,अपनेँ ऐशो आराम के बारे मेँ कई प्रकार की डींगें हाँकनेँ लगताहै, सामनेँ वाला व्यक्ति उसकी सारी बातेँ सुन रहा होताहै, पर वो युवा व्यक्ति फोन पर बड़ी-बड़ी डींगें हांकनाजारी रखता है.जब उसकी बातेँ खत्म हो जाती हैँतब जाकर वह उस साधारण व्यक्ति से पूछता है है कि तुम यहाँ क्या करनेँ आये हो ?वह आदमी उस युवा व्यक्ति कोविनम्र भाव से देखतेहुए कहता है, “साहब, मैँ यहाँ टेलीफोन रिपेयरकरनेँ के लिए आया हुँ, मुझे खबर मिली है कि आप जिस टेलीफोन से बातकर रह थे वो हफ्ते भर से बँद पड़ा है इसीलिए मैँ इस टेलीफोन कोरिपेयर करनेँ के लिए आया हूँ।”इतना सुनते ही युवा व्यक्ति शर्मसे लाल हो जाता है और चुप-चाप कमरे से बाहर चला जाता है। उसे उसके दिखावेका फल मिल चुका होता है.कहानी का सार यह है कि जब हम सफलहोते हैँ एक लेवल हाँसिल करते हैं, तब हम अपनेँ आप पर बहुत गर्व होता हैँ और यहस्वाभाविक भी है। गर्व करनेँ से हमे स्वाभिमानी होने का एहसास होता हैलेकिन एक सीमा के बाद ये अहंकार का रूप ले लेता है और आपस्वाभिमानी से अभिमानी बन जाते हैं और अभिमानी बनते ही आप दुसरोँ के सामनेँ दिखावा करने लगते हैं, और जो लोग ऐसा करते हैं वो उसी लेवल पर याउससे भी निचे आ जाते हैं |अतः हमें ध्यान रखना चाहिए कि हमचाहे कितने भी सफल क्यों ना हो जाएं व्यर्थ के अहंकार और झूठे दिखावे में ना पड़ेंअन्यथा उस युवक की तरह हमे भी कभी न कभी शर्मिंदा होना पड़ सकता है। हमे हमेशा एक लेवलहासिल करने के बाद दुसरे फिर तीसरे और इस तरह से हमे अपने सर्वश्रेस्ट लक्ष्यों कोप्राप्त करने के लिए लगातार काम करते रहना चाहियें.

💞 बड़ी सोच का बड़ा जादू 💞 दिखावा ना करे!मैनेजमेंट कीशिक्षा प्राप्त एक युवा नौजवान की नौकरी लग जाती है, उसे कंपनी की और सेकाम करने के लिए अलग से एक केबिन दे दिया जाता है। वह नौजवान जब पहले दिन ऑफिस जाताहै और बैठ कर अपने शानदार केबिन को निहार रहा होता है तभी दरवाजा खट-खटाने कीआवाज आती है दरवाजे पर एक साधारण सा व्यक्ति रहता है, पर उसे अंदरआने कहनेँ के बजाय वह युवा व्यक्ति उसे आधा घँटाबाहर इंतजार करनेँ के लिए कहता है। आधा घँटा बीतनेँ के पश्चात वह आदमी पुन: ऑफिस के अंदर जानेँ की अनुमति मांगता है, उसे अंदर आते देख युवक टेलीफोन से बात करना शुरु कर देता है. वह फोन पर बहुतसारे पैसोँ की बातेँ करता है,अपनेँ ऐशो आराम के बारे मेँ कई प्रकार की डींगें हाँकनेँ लगताहै, सामनेँ वाला व्यक्ति उसकी सारी बातेँ सुन रहा होताहै, पर वो युवा व्यक्ति फोन पर बड़ी-बड़ी डींगें हांकनाजारी रखता है.जब उसकी बातेँ खत्म हो जाती हैँतब जाकर वह उस साधारण व्यक्ति से पूछता है है कि तुम यहाँ क्या करनेँ आये हो ?वह आदमी उस युवा व्यक्ति कोविनम्र भाव से देखतेहुए कहता है, “साहब, मैँ यहाँ टेलीफोन रिपेयरकरनेँ के लिए आया हुँ, मुझे खबर म...

💞 बड़ी सोच का बड़ा जादू 💞 जिंदगी की तीन सीखें!बहुत समय पहले की बात है, सुदूर दक्षिणमें किसी प्रतापी राजा का राज्य था. राजा के तीन पुत्र थे, एक दिन राजा केमन में आया कि पुत्रों को कुछ ऐसी शिक्षा दी जाये कि समयआने पर वो राज-काज सम्भाल सकें. इसी विचार के साथ राजा ने सभी पुत्रों को दरबारमें बुलाया और बोला, “पुत्रों, हमारे राज्यमें नाशपाती का कोई वृक्ष नहीं है, मैं चाहता हूँ तुमसब चार-चार महीने के अंतराल पर इस वृक्ष की तलाश में जाओ और पता लगाओ कि वो कैसा होता है ?” राजा की आज्ञा पा कर तीनो पुत्रबारी-बारी से गए और वापस लौट आये.सभी पुत्रों के लौट आने पर राजाने पुनः सभी को दरबार मेंबुलाया और उस पेड़ के बारे में बताने को कहा।पहला पुत्र बोला, “पिताजी वह पेड़तो बिलकुल टेढ़ा – मेढ़ा, और सूखा हुआ था.”“नहीं-नहीं वो तो बिलकुल हरा–भरा था, लेकिन शायद उसमे कुछ कमी थी क्योंकि उसपर एक भी फल नहीं लगा था.”, दुसरे पुत्र नेपहले को बीच में ही रोकते हुए कहा.फिर तीसरा पुत्र बोला, “भैया, लगता है आप भीकोई गलत पेड़ देख आये क्योंकि मैंने सचमुच नाशपाती का पेड़ देखा, वो बहुत हीशानदार था और फलों से लदा पड़ा था.”और तीनो पुत्र अपनी-अपनी बात कोलेकर आपस में विवाद करने लगे कि तभी राजा अपने सिंघासन से उठे और बोले, “पुत्रों, तुम्हे आपस में बहस करने की कोई आवश्यकता नहीं है, दरअसल तुम तीनोही वृक्ष का सही वर्णन कर रहे हो. मैंने जानबूझ कर तुम्हेअलग-अलग मौसम में वृक्ष खोजने भेजा था और तुमने जो देखा वो उसमौसम के अनुसार था.मैं चाहता हूँ कि इस अनुभव केआधार पर तुम तीन बातों को गाँठ बाँध लो :पहली, किसी चीज के बारे में सही और पूर्ण जानकारी चाहिए तो तुम्हे उसे लम्बेसमय तक देखना-परखना चाहिए. फिर चाहे वो कोई ब्यवसाय, विषय, वस्तु हो या फिर कोई व्यक्ति ही क्यों न हो ।दूसरी, हर मौसम एक सा नहीं होता, जिस प्रकार वृक्ष मौसम के अनुसारसूखता, हरा-भरा या फलों से लदा रहता है उसी प्रकार ब्यवसाय,मनुष्य के जीवन में भी उतार चढाव आते रहते हैं, अतः अगर तुम कभी भी बुरे दौर से गुजर रहे हो तो अपनी हिम्मत और धैर्य बनाये रखो, समय अवश्य बदलता है।और तीसरी बात, अपनी बात को ही सही मान कर उस पर अड़े मत रहो, अपना दिमागखोलो, और दूसरों के विचारों को भी जानो। यह संसारज्ञान से भरा पड़ा है, चाह कर भी तुम अकेले सारा ज्ञान अर्जित नहीं कर सकते, इसलिए भ्रम कीस्थिति में किसी ज्ञानी व्यक्ति से सलाह लेने में संकोच मत करो।

💞 बड़ी सोच का बड़ा जादू 💞 जिंदगी की तीन सीखें!बहुत समय पहले की बात है, सुदूर दक्षिणमें किसी प्रतापी राजा का राज्य था. राजा के तीन पुत्र थे, एक दिन राजा केमन में आया कि पुत्रों को कुछ ऐसी शिक्षा दी जाये कि समयआने पर वो राज-काज सम्भाल सकें. इसी विचार के साथ राजा ने सभी पुत्रों को दरबारमें बुलाया और बोला, “पुत्रों, हमारे राज्यमें नाशपाती का कोई वृक्ष नहीं है, मैं चाहता हूँ तुमसब चार-चार महीने के अंतराल पर इस वृक्ष की तलाश में जाओ और पता लगाओ कि वो कैसा होता है ?” राजा की आज्ञा पा कर तीनो पुत्रबारी-बारी से गए और वापस लौट आये.सभी पुत्रों के लौट आने पर राजाने पुनः सभी को दरबार मेंबुलाया और उस पेड़ के बारे में बताने को कहा।पहला पुत्र बोला, “पिताजी वह पेड़तो बिलकुल टेढ़ा – मेढ़ा, और सूखा हुआ था.”“नहीं-नहीं वो तो बिलकुल हरा–भरा था, लेकिन शायद उसमे कुछ कमी थी क्योंकि उसपर एक भी फल नहीं लगा था.”, दुसरे पुत्र नेपहले को बीच में ही रोकते हुए कहा.फिर तीसरा पुत्र बोला, “भैया, लगता है आप भीकोई गलत पेड़ देख आये क्योंकि मैंने सचमुच नाशपाती का पेड़ देखा, वो बहुत हीशानदार था और फलों से लदा पड़ा था.”और तीनो पुत्...

💞 बड़ी सोच का बड़ा जादू 💞 💞 सहीं जगह पर मेहनत करना बहुत जरुरी है!एक पहलवान जैसा, हट्टा-कट्टा, लंबा-चौड़ा व्यक्ति सामान लेकरकिसी स्टेशन पर उतरा। उसनेँ एक टैक्सी वाले सेकहा कि मुझे साईँ बाबा के मंदिर जाना है।,टैक्सी वाले नेँ कहा - 200 रुपये लगेँगे। उस पहलवान आदमी नेँबुद्दिमानी दिखातेहुए कहा, इतने पास के दो सौ रुपये, आप टैक्सी वालेतो लूट रहे हो। मैँ अपना सामान खुद ही उठा कर चला जाऊँगा।वह व्यक्ति काफी दूर तक सामान लेकर चलता रहा। कुछ देर बाद पुन: उसेवही टैक्सी वाला दिखा, अब उस आदमी ने फिर टैक्सी वाले से पूछा – भैया अब तो मैने आधा से ज्यादा दुरी तर कर ली है तो अब आप कितना रुपये लेँगे?टैक्सी वाले नेँ जवाब दिया - 400 रुपये।उस आदमी नेँ फिर कहा - पहले दो सौ रुपये, अब चार सौरुपये, ऐसा क्योँ।टैक्सी वाले नेँ जवाब दिया - महोदय, इतनी देर से आप साईँ मंदिर कीविपरीत दिशामेँ दौड़ लगा रहे हैँ जबकि साईँमँदिर तो दुसरी तरफ है।उस पहलवान व्यक्ति नेँ कुछ भी नहीँ कहा और चुपचाप टैक्सी मेँ बैठगया।इसी तरह जिँदगी के कई मुकाम मेँ हम किसी चीज को बिना गंभीरता सेसोचे सीधे कामशुरु कर देते हैँ, और फिर अपनीमेहनत और समय को बर्बाद कर उस काम को आधा ही करके छोड़ देते हैँ। किसी भी काम को हाथमेँ लेनेँ से पहले पुरी तरह सोच विचार लेवेँ कि क्या जो आपकर रहे हैँ वो आपके लक्ष्य का हिस्सा है कि नहीँ।हमेशा एक बात याद रखेँ कि दिशा सही होनेँ पर ही मेहनत पूरा रंग लाती है और यदि दिशा ही गलत हो तो आप कितनी भी मेहनत करें, कोई लाभ नहीं मिलपायेगा। इसीलिए दिशा तयकरेँ और आगे बढ़ेँ, कामयाबी आपकेहाथ जरुर थामेगी।दोस्तों, जिस तरह से आप अपनी बाइक या कार को 100 या 200 किलोमीटरप्रति घंटे की रफ़्तार से भी चलायें तो भी वो जमीन पर ही चलेगी, जबकि हवाई जहाजसिर्फ 70 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार पर ही हवे में उड़ जाती है, मतलब यदिजिंदगी में आपको कामयाबी छुनी है, सपने पुरे करने हैं तो सिर्फ मेहनत नहीं बल्किसहीं जगह पर मेहनत करना बहुत जरुरी है.

💞 बड़ी सोच का बड़ा जादू 💞 सहीं जगह पर मेहनत करना बहुत जरुरी है! एक पहलवान जैसा, हट्टा-कट्टा, लंबा-चौड़ा व्यक्ति सामान लेकरकिसी स्टेशन पर उतरा। उसनेँ एक टैक्सी वाले सेकहा कि मुझे साईँ बाबा के मंदिर जाना है। , टैक्सी वाले नेँ कहा - 200 रुपये लगेँगे। उस पहलवान आदमी नेँबुद्दिमानी दिखातेहुए कहा, इतने पास के दो सौ रुपये, आप टैक्सी वालेतो लूट रहे हो। मैँ अपना सामान खुद ही उठा कर चला जाऊँगा। वह व्यक्ति काफी दूर तक सामान लेकर चलता रहा। कुछ देर बाद पुन: उसेवही टैक्सी वाला दिखा, अब उस आदमी ने फिर टैक्सी वाले से पूछा – भैया अब तो मैने आधा से ज्यादा दुरी तर कर ली है तो अब आप कितना रुपये लेँगे? टैक्सी वाले नेँ जवाब दिया - 400 रुपये। उस आदमी नेँ फिर कहा - पहले दो सौ रुपये, अब चार सौरुपये, ऐसा क्योँ। टैक्सी वाले नेँ जवाब दिया - महोदय, इतनी देर से आप साईँ मंदिर कीविपरीत दिशामेँ दौड़ लगा रहे हैँ जबकि साईँमँदिर तो दुसरी तरफ है। उस पहलवान व्यक्ति नेँ कुछ भी नहीँ कहा और चुपचाप टैक्सी मेँ बैठगया। इसी तरह जिँदगी के कई मुकाम मेँ हम किसी चीज को बिना गंभीरता सेसोचे सीधे कामशुरु कर देते हैँ, और फिर अ...

बड़ी सोच का बड़ा जादू 🚩🌹🙏🙏🌹🚩अभ्यास ही सबसे बड़ा गुरू है !गुरु द्रोणाचार्य, पाण्डवोँ औरकौरवोँ के गुरु थे, उन्हेँ धनुर्विद्या का ज्ञान देते थे। एक दिनएकलव्य जो कि एक गरीब शुद्र परिवार से थे. द्रोणाचार्य के पास गये और बोले किगुरुदेव मुझे भी धनुर्विद्या का ज्ञान प्राप्त करना है आपसे अनुरोध है कि मुझे भी अपनाशिष्य बनाकर धनुर्विद्या का ज्ञान प्रदान करेँ।किन्तु द्रोणाचार्य नेँ एकलव्य को अपनी विवशताबतायी और कहा कि वे किसी और गुरु से शिक्षा प्राप्त कर लें। यह सुनकर एकलव्य वहाँसे चले गये। इस घटना के बहुत दिनों बाद अर्जुन और द्रोणाचार्य शिकार के लिये जंगलकी ओर गये। उनके साथ एक कुत्ता भी गया हुआ था। कुत्ता अचानक से दौड़ते हुय एक जगहपर जाकर भौँकनेँ लगा, वह काफी देर तक भोंकता रहा और फिर अचानक हीभौँकना बँद कर दिया। अर्जुन और गुरुदेव को यह कुछ अजीब लगा और वे उस स्थान की औरबढ़ गए जहाँ से कुत्ते के भौंकने की आवाज़ आ रही थी।उन्होनेँ वहाँ जाकर जो देखा वो एक अविश्वसनीयघटना थी। किसी ने कुत्ते को बिना चोट पहुंचाए उसका मुँह तीरोँ के माध्यम से बंद करदिया था और वह चाह कर भी नहीं भौंक सकता था। ये देखकर द्रोणाचार्य चौँक गये औरसोचनेँ लगे कि इतनी कुशलता से तीर चलाने का ज्ञान तो मैनेँ मेरे प्रिय शिष्यअर्जुन को भी नहीं दिया है और न ही ऐसे भेदनेँ वाला ज्ञान मेरे आलावा यहाँ कोईजानता है…. तो फिर ऐसी अविश्वसनीय घटना घटी कैसे ?तभी सामनेँ से एकलव्य अपनेँ हाथ मेँ तीर-कमानपकड़े आ रहा था। ये देखकर तो गुरुदेव और भी चौँक गये। द्रोणाचार्य नेँ एकलव्य सेपुछा, “ बेटा तुमनेँ ये सब कैसे कर दिखाया।”तब एकलव्य नेँ कहा, “गुरूदेव मैनेँ यहाँ आपकी मूर्ती बनाईहै और रोज इसकी वंदना करने के पश्चात मैं इसके समकक्ष कड़ा अभ्यास किया करता हूँ औरइसी अभ्यास के चलते मैँ आज आपके सामनेँ धनुष पकड़नेँ के लायक बना हूँ।,गुरुदेव ने कहा, “तुम धन्य हो ! तुम्हारे अभ्यास ने हीतुम्हेँ इतना श्रेष्ट धनुर्धर बनाया है और आज मैँ समझ गया कि अभ्यास ही सबसे बड़ागुरू है।”

💞 बड़ी सोच का बड़ा जादू 💞 आगे बढ़ने के लिए जरुरी है की लोगो को आगे बढ़ने में मदद करें! जापान के टोक्यो शहर के निकट एककस्बा अपनी खुशहाली के लिए प्रसिद्द था. एक बार एक व्यक्ति उसकसबे की खुशहाली का कारण जानने के लिए सुबह-सुबह वहाँ पहुंचा. कस्बे में घुसते ही उसे एक कॉफ़ी शॉप दिखायी दी। उसने मन ही मन सोचा किमैं यहाँ बैठ कर चुप-चाप लोगों को देखता हूँ, और वह धीरे-धीरे आगे बढ़ते हुए शॉपके अंदर लगी एक कुर्सी पर जा कर बैठ गया. , कॉफ़ी-शॉप शहर के रेस्टोरेंटस कीतरह ही थी, पर वहाँ उसे लोगों का व्यवहार कुछ अजीब लगा. एक आदमी शॉप में आया औरउसने दो कॉफ़ी के पैसे देते हुए कहा, “दो कप कॉफ़ी, एक मेरे लिए औरएक उस दीवार पर ।” व्यक्ति दीवार की तरफ देखने लगालेकिन उसे वहाँ कोईनज़र नहीं आया, पर फिर भी उसआदमी को कॉफ़ी देने के बाद वेटर दीवार के पास गया और उस पर कागज़ का एकटुकड़ा चिपका दिया, जिसपर “एक कप कॉफ़ी” लिखा था. व्यक्ति समझ नहीं पाया कि आखिर माजरा क्या है. उसने सोचा कि कुछ देर और बैठता हूँ, और समझने की कोशिश करता हूँ. थोड़ीदेर बाद एक गरीब मजदूर वहाँ आया,उसके कपड़े फटे-पुराने थेपर फिर भी वह पुरे आत्म-विश्वास के साथ शॉप...

💞 बड़ी सोच का बड़ा जादू 💞 सभी के अन्दर कोई ना कोई कमी होती हैबहुत समय पहले की बात है, किसी गाँव में एक किसान रहता था. वह रोज़ भोर में उठकर दूर झरनों से स्वच्छ पानी लेने जाया करता था. इस काम के लिए वह अपने साथ दो बड़े घड़े ले जाता था, जिन्हें वो डंडे में बाँध कर अपने कंधे पर दोनों ओर लटका लेता था. उनमे से एक घड़ा कहीं से फूटा हुआ था, और दूसरा एक दम सही था. इस वजह से रोज़ घर पहुँचते - पहुचते किसान के पास डेढ़ घड़ा पानी ही बच पाता था. ऐसा दो सालों से चल रहा था. सही घड़े को इस बात का घमंड था कि वो पूरा का पूरा पानी घर पहुंचता है और उसके अन्दर कोई कमी नहीं है, वहीँ दूसरी तरफ फूटा घड़ा इस बात से शर्मिंदा रहता था कि वो आधा पानी ही घर तक पंहुचा पाता है और किसान की मेहनत बेकार चली जाती है. फूटा घड़ा ये सब सोच कर बहुत परेशान रहने लगा और एक दिन उससे रहा नहीं गया, उसने किसान से कहा, “मैं खुद पर शर्मिंदा हूँ और आपसे क्षमा मांगना चाहता हूँ ?”क्यों ? किसान ने पूछा, “तुम किस बात से शर्मिंदा हो ?”“शायद आप नहीं जानते पर मैं एक जगह से फूटा हुआ हूँ, और पिछले दो सालों से मुझे जितना पानी घर पहुँचाना चाहिए था बस उसका आधा ही पहुंचा पाया हूँ, मेरे अन्दर ये बहुत बड़ी कमी है, और इस वजह से आपकी मेहनत बर्वाद होती रही है.” फूटे घड़े ने दुखी होते हुए कहा. किसान को घड़े की बात सुनकर थोडा दुःख हुआ और वह बोला, “कोई बात नहीं, मैं चाहता हूँ कि आज लौटते वक़्त तुम रास्ते में पड़ने वाले सुन्दर फूलों को देखो.” घड़े ने वैसा ही किया, वह रास्ते भर सुन्दर फूलों को देखता आया, ऐसा करने से उसकी उदासी कुछ दूर हुई पर घर पहुँचते – पहुँचते फिर उसके अन्दर से आधा पानी गिर चुका था, वो मायूस हो गया और किसान से क्षमा मांगने लगा.किसान बोला,” शायद तुमने ध्यान नहीं दिया पूरे रास्ते में जितने भी फूल थे वो बस तुम्हारी तरफ ही थे, सही घड़े की तरफ एक भी फूल नहीं था. ऐसा इसलिए क्योंकि मैं हमेशा से तुम्हारे अन्दर की कमी को जानता था, और मैंने उसका लाभ उठाया. मैंने तुम्हारे तरफ वाले रास्ते पर रंग -बिरंगे फूलों के बीज बो दिए थे, तुम रोज़ थोडा-थोडा कर के उन्हें सींचते रहे और पूरे रास्ते को इतना खूबसूरत बना दिया. आज तुम्हारी वजह से ही मैं इन फूलों को भगवान को अर्पित कर पाता हूँ और अपना घर सुन्दर बना पाता हूँ. तुम्ही सोचो अगरतुम जैसे हो वैसे नहीं होते तो भला क्या मैं ये सबकुछ कर पाता ?”,दोस्तों हम सभी के अन्दर कोई ना कोई कमी होती है, पर यही कमियां हमें अनोखा बनाती हैं. उस किसान की तरह हमें भी हर किसी को वो जैसा है वैसे ही स्वीकारना चाहिए और उसकी अच्छाई की तरफ ध्यान देना चाहिए, और जब हम ऐसा करेंगे तब “फूटा घड़ा” भी “अच्छे घड़े” से मूल्यवान हो जायेगा.

💞 बड़ी सोच का बड़ा जादू 💞 सभी के अन्दर कोई ना कोई कमी होती है बहुत समय पहले की बात है, किसी गाँव में एक किसान रहता था. वह रोज़ भोर में उठकर दूर झरनों से स्वच्छ पानी लेने जाया करता था. इस काम के लिए वह अपने साथ दो बड़े घड़े ले जाता था, जिन्हें वो डंडे में बाँध कर अपने कंधे पर दोनों ओर लटका लेता था. उनमे से एक घड़ा कहीं से फूटा हुआ था, और दूसरा एक दम सही था. इस वजह से रोज़ घर पहुँचते - पहुचते किसान के पास डेढ़ घड़ा पानी ही बच पाता था. ऐसा दो सालों से चल रहा था. सही घड़े को इस बात का घमंड था कि वो पूरा का पूरा पानी घर पहुंचता है और उसके अन्दर कोई कमी नहीं है, वहीँ दूसरी तरफ फूटा घड़ा इस बात से शर्मिंदा रहता था कि वो आधा पानी ही घर तक पंहुचा पाता है और किसान की मेहनत बेकार चली जाती है. फूटा घड़ा ये सब सोच कर बहुत परेशान रहने लगा और एक दिन उससे रहा नहीं गया, उसने किसान से कहा, “मैं खुद पर शर्मिंदा हूँ और आपसे क्षमा मांगना चाहता हूँ ?” क्यों ? किसान ने पूछा, “तुम किस बात से शर्मिंदा हो ?” “शायद आप नहीं जानते पर मैं एक जगह से फूटा हुआ हूँ, और पिछले दो सालों से मुझे जितना पानी घर पहुँचाना चा...

💞 बड़ी सोच का बड़ा जादू 💞अपने साथ अपने लोगों को लेकर चलेंबहुत समय पहले की बात है एक विख्यात ऋषि गुरुकुल में बालकों को शिक्षा प्रदान किया करते थे. उनके गुरुकुल में बड़े-बड़े राजामहाराजाओं के पुत्रों से लेकर साधारण परिवार के लड़के भीपढ़ा करते थे। वर्षों से शिक्षा प्राप्त कर रहे शिष्यों की शिक्षा आज पूर्ण हो रही थी और सभी बड़ेउत्साह के साथ अपने अपने घरों को लौटने की तैयारी कर रहे थे कि तभी ऋषिवर की तेज आवाजसभी के कानो में पड़ी,“आप सभी मैदानमें एकत्रित हो जाएं।“आदेश सुनते हीशिष्यों ने ऐसा ही किया।ऋषिवर बोले, “प्रिय शिष्यों, आज इस गुरुकुल में आपका अंतिम दिन है. मैं चाहता हूँ कि यहाँ से प्रस्थान करने से पहले आप सभी एक दौड़ में हिस्सा लें. यह एक बाधा दौड़ होगी और इसमें आपको कहीं कूदना तो कहीं पानी में दौड़ना होगा और इसके आखिरी हिस्से में आपको एक अँधेरी सुरंग से भी गुजरना पड़ेगा.”तो क्या आप सब तैयार हैं ?””हाँ, हम तैयार हैं”, शिष्य एक स्वर में बोले.दौड़ शुरू हुई.सभी तेजी से भागने लगे. वे तमाम बाधाओं को पार करते हुए अंत में सुरंग के पास पहुंचे. वहाँ बहुत अँधेरा था और उसमे जगह जगह नुकीले पत्थर भी पड़े थे जिनके चुभने पर असहनीय पीड़ा का अनुभव होता था. सभी असमंजस में पड़ गए, जहाँ अभी तक दौड़ में सभी एक सामान बर्ताव कर रहे थे वहीँ अब सभी अलग अलग व्यवहार करने लगे ; खैर, सभी ने जैसे-तैसे दौड़ ख़त्म की और ऋषिवर के समक्ष एकत्रित हुए। “पुत्रों ! मैं देख रहा हूँ कि कुछ लोगों ने दौड़ बहुत जल्दी पूरी कर ली और कुछ ने बहुत अधिक समय लिया, भला ऐसा क्यों ?”, ऋषिवर ने प्रश्न किया।यह सुनकर एक शिष्य बोला, “गुरु जी, हम सभी लगभग साथ साथ ही दौड़ रहे थे पर सुरंग में पहुचते ही स्थिति बदल गयी. कोई दुसरे को धक्का देकर आगे निकलने में लगा हुआ था तो कोई संभलसंभल कर आगे बढ़ रहा था. और कुछ तो ऐसे भी थे जो पैरों में चुभ रहे पत्थरों को उठा उठा कर अपनी जेब में रख ले रहे थे ताकि बाद में आने वाले लोगों को पीड़ा ना सहनी पड़े. इसलिए सब ने अलग अलग समय में दौड़ पूरी की.”“ठीक है ! जिन लोगों ने पत्थर उठाये हैं वे आगे आएं और मुझे वो पत्थर दिखाएँ“, ऋषिवर ने आदेश दिया.आदेश सुनते ही कुछ शिष्य सामने आये और पत्थर निकालने लगे. पर ये क्या जिन्हे वे पत्थर समझ रहे थे दरअसल वे बहुमूल्य हीरे थे. सभी आश्चर्य में पड़ गए और ऋषिवर की तरफ देखने लगे.“मैं जानता हूँ आप लोग इन हीरों के देखकर आश्चर्य में पड़ गए हैं.” ऋषिवर बोले।,“दरअसल इन्हेमैंने ही उस सुरंग में डाला था,और यह दूसरों के विषय में सोचने वालेशिष्यों को मेरा इनाम है।इस दौड़ से हमे यह समझने की जरुरत है की आज के युग में यदि हम आगेबढ़ना चाहतें हैं, या हम अपने सपनो को पूरा करना चाहतें हैं तो जरुरी है की हम अपनेसाथ अपने लोगों को लेकर चलें, क्योंकि यदि हमारे लोग आगे बढ़ेंगे तो हम तो आगेबढ़ेंगे ही

💞 बड़ी सोच का बड़ा जादू 💞 अपने साथ अपने लोगों को लेकर चलें बहुत समय पहले की बात है एक विख्यात ऋषि गुरुकुल में बालकों को शिक्षा प्रदान किया करते थे. उनके गुरुकुल में बड़े-बड़े राजामहाराजाओं के पुत्रों से लेकर साधारण परिवार के लड़के भीपढ़ा करते थे। वर्षों से शिक्षा प्राप्त कर रहे शिष्यों की शिक्षा आज पूर्ण हो रही थी और सभी बड़ेउत्साह के साथ अपने अपने घरों को लौटने की तैयारी कर रहे थे कि तभी ऋषिवर की तेज आवाजसभी के कानो में पड़ी, “आप सभी मैदानमें एकत्रित हो जाएं।“ आदेश सुनते हीशिष्यों ने ऐसा ही किया। ऋषिवर बोले, “प्रिय शिष्यों, आज इस गुरुकुल में आपका अंतिम दिन है. मैं चाहता हूँ कि यहाँ से प्रस्थान करने से पहले आप सभी एक दौड़ में हिस्सा लें. यह एक बाधा दौड़ होगी और इसमें आपको कहीं कूदना तो कहीं पानी में दौड़ना होगा और इसके आखिरी हिस्से में आपको एक अँधेरी सुरंग से भी गुजरना पड़ेगा.” तो क्या आप सब तैयार हैं ?” ”हाँ, हम तैयार हैं”, शिष्य एक स्वर में बोले. दौड़ शुरू हुई. सभी तेजी से भागने लगे. वे तमाम बाधाओं को पार...

बड़ी सोच का बड़ा जादू 🚩🌹🙏🙏🌹🚩अभ्यास ही सबसे बड़ा गुरू है !गुरु द्रोणाचार्य, पाण्डवोँ औरकौरवोँ के गुरु थे, उन्हेँ धनुर्विद्या का ज्ञान देते थे। एक दिनएकलव्य जो कि एक गरीब शुद्र परिवार से थे. द्रोणाचार्य के पास गये और बोले किगुरुदेव मुझे भी धनुर्विद्या का ज्ञान प्राप्त करना है आपसे अनुरोध है कि मुझे भी अपनाशिष्य बनाकर धनुर्विद्या का ज्ञान प्रदान करेँ।किन्तु द्रोणाचार्य नेँ एकलव्य को अपनी विवशताबतायी और कहा कि वे किसी और गुरु से शिक्षा प्राप्त कर लें। यह सुनकर एकलव्य वहाँसे चले गये। इस घटना के बहुत दिनों बाद अर्जुन और द्रोणाचार्य शिकार के लिये जंगलकी ओर गये। उनके साथ एक कुत्ता भी गया हुआ था। कुत्ता अचानक से दौड़ते हुय एक जगहपर जाकर भौँकनेँ लगा, वह काफी देर तक भोंकता रहा और फिर अचानक हीभौँकना बँद कर दिया। अर्जुन और गुरुदेव को यह कुछ अजीब लगा और वे उस स्थान की औरबढ़ गए जहाँ से कुत्ते के भौंकने की आवाज़ आ रही थी।उन्होनेँ वहाँ जाकर जो देखा वो एक अविश्वसनीयघटना थी। किसी ने कुत्ते को बिना चोट पहुंचाए उसका मुँह तीरोँ के माध्यम से बंद करदिया था और वह चाह कर भी नहीं भौंक सकता था। ये देखकर द्रोणाचार्य चौँक गये औरसोचनेँ लगे कि इतनी कुशलता से तीर चलाने का ज्ञान तो मैनेँ मेरे प्रिय शिष्यअर्जुन को भी नहीं दिया है और न ही ऐसे भेदनेँ वाला ज्ञान मेरे आलावा यहाँ कोईजानता है…. तो फिर ऐसी अविश्वसनीय घटना घटी कैसे ?तभी सामनेँ से एकलव्य अपनेँ हाथ मेँ तीर-कमानपकड़े आ रहा था। ये देखकर तो गुरुदेव और भी चौँक गये। द्रोणाचार्य नेँ एकलव्य सेपुछा, “ बेटा तुमनेँ ये सब कैसे कर दिखाया।”तब एकलव्य नेँ कहा, “गुरूदेव मैनेँ यहाँ आपकी मूर्ती बनाईहै और रोज इसकी वंदना करने के पश्चात मैं इसके समकक्ष कड़ा अभ्यास किया करता हूँ औरइसी अभ्यास के चलते मैँ आज आपके सामनेँ धनुष पकड़नेँ के लायक बना हूँ।,गुरुदेव ने कहा, “तुम धन्य हो ! तुम्हारे अभ्यास ने हीतुम्हेँ इतना श्रेष्ट धनुर्धर बनाया है और आज मैँ समझ गया कि अभ्यास ही सबसे बड़ागुरू है।”

बड़ी सोच का बड़ा जादू  🚩🌹🙏🙏🌹🚩 अभ्यास ही सबसे बड़ा गुरू है ! गुरु द्रोणाचार्य, पाण्डवोँ औरकौरवोँ के गुरु थे, उन्हेँ धनुर्विद्या का ज्ञान देते थे। एक दिनएकलव्य जो कि एक गरीब शुद्र परिवार से थे. द्रोणाचार्य के पास गये और बोले किगुरुदेव मुझे भी धनुर्विद्या का ज्ञान प्राप्त करना है आपसे अनुरोध है कि मुझे भी अपनाशिष्य बनाकर धनुर्विद्या का ज्ञान प्रदान करेँ। किन्तु द्रोणाचार्य नेँ एकलव्य को अपनी विवशताबतायी और कहा कि वे किसी और गुरु से शिक्षा प्राप्त कर लें। यह सुनकर एकलव्य वहाँसे चले गये। इस घटना के बहुत दिनों बाद अर्जुन और द्रोणाचार्य शिकार के लिये जंगलकी ओर गये। उनके साथ एक कुत्ता भी गया हुआ था। कुत्ता अचानक से दौड़ते हुय एक जगहपर जाकर भौँकनेँ लगा, वह काफी देर तक भोंकता रहा और फिर अचानक हीभौँकना बँद कर दिया। अर्जुन और गुरुदेव को यह कुछ अजीब लगा और वे उस स्थान की औरबढ़ गए जहाँ से कुत्ते के भौंकने की आवाज़ आ रही थी। उन्होनेँ वहाँ जाकर जो देखा वो एक अविश्वसनीयघटना थी। किसी ने कुत्ते को बिना चोट पहुंचाए उसका मुँह तीरोँ के माध्यम से बंद करदिया था और वह चाह कर भी नहीं भौंक सकता था। ये देखक...

💞 बड़ी सोच का बड़ा जादू 💞 आगे बढ़ने के लिए जरुरी है की लोगो को आगे बढ़ने में मदद करें!जापान के टोक्यो शहर के निकट एककस्बा अपनी खुशहाली के लिए प्रसिद्द था. एक बार एक व्यक्ति उसकसबे की खुशहाली का कारण जानने के लिए सुबह-सुबह वहाँ पहुंचा. कस्बे में घुसते ही उसे एक कॉफ़ी शॉप दिखायी दी। उसने मन ही मन सोचा किमैं यहाँ बैठ कर चुप-चाप लोगों को देखता हूँ, और वह धीरे-धीरे आगे बढ़ते हुए शॉपके अंदर लगी एक कुर्सी पर जा कर बैठ गया.,कॉफ़ी-शॉप शहर के रेस्टोरेंटस कीतरह ही थी, पर वहाँ उसे लोगों का व्यवहार कुछ अजीब लगा. एक आदमी शॉप में आया औरउसने दो कॉफ़ी के पैसे देते हुए कहा, “दो कप कॉफ़ी, एक मेरे लिए औरएक उस दीवार पर ।”व्यक्ति दीवार की तरफ देखने लगालेकिन उसे वहाँ कोईनज़र नहीं आया, पर फिर भी उसआदमी को कॉफ़ी देने के बाद वेटर दीवार के पास गया और उस पर कागज़ का एकटुकड़ा चिपका दिया, जिसपर “एक कप कॉफ़ी” लिखा था. व्यक्ति समझ नहीं पाया कि आखिर माजरा क्या है. उसने सोचा कि कुछ देर और बैठता हूँ, और समझने की कोशिश करता हूँ. थोड़ीदेर बाद एक गरीब मजदूर वहाँ आया,उसके कपड़े फटे-पुराने थेपर फिर भी वह पुरे आत्म-विश्वास के साथ शॉप में घुसा और आराम से एक कुर्सी पर बैठ गया. व्यक्ति सोच रहा था कि एक मजदूर के लिए कॉफ़ी परइतने पैसे बर्वाद करना कोई समझदारी नहीं है. तभी वेटर मजदूरके पास आर्डर लेने पंहुचा.“सर, आपका आर्डर प्लीज !”, वेटर बोला.“दीवार से एक कप कॉफ़ी”, मजदूर ने जवाब दिया.वेटर ने मजदूर से बिना पैसे लिएएक कप कॉफ़ी दी और दीवार पर लगी ढेर सारे कागज के टुकड़ों में से “एक कप कॉफ़ी” लिखा एक टुकड़ानिकाल कर डस्टबिन में फेंक दिया. व्यक्ति को अब सारी बात समझ आ गयी थी. कसबेके लोगों का ज़रूरतमंदों के प्रति यह रवैया देखकर वह भाव-विभोर हो गया.उसे लगा, सचमुच लोगों ने मदद का कितना अच्छा तरीका निकाला है जहां एक गरीबमजदूर भी बिना अपना आत्मसम्मान कम किये एक अच्छी सी कॉफ़ी-शॉप में खाने-पीने काआनंद ले सकता है. अब वह कसबे की खुशहाली का कारण जान चुका था और इन्ही विचारों के साथ वापस अपने शहर लौट गया.इसी तरह जिंदगी में आगे बढ़ने केलिए जरुरी है की हम अपने साथ आये लोगो को भी आगे बढ़ने में मदद करें...

💞 बड़ी सोच का बड़ा जादू 💞 आगे बढ़ने के लिए जरुरी है की लोगो को आगे बढ़ने में मदद करें! जापान के टोक्यो शहर के निकट एककस्बा अपनी खुशहाली के लिए प्रसिद्द था. एक बार एक व्यक्ति उसकसबे की खुशहाली का कारण जानने के लिए सुबह-सुबह वहाँ पहुंचा. कस्बे में घुसते ही उसे एक कॉफ़ी शॉप दिखायी दी। उसने मन ही मन सोचा किमैं यहाँ बैठ कर चुप-चाप लोगों को देखता हूँ, और वह धीरे-धीरे आगे बढ़ते हुए शॉपके अंदर लगी एक कुर्सी पर जा कर बैठ गया. , कॉफ़ी-शॉप शहर के रेस्टोरेंटस कीतरह ही थी, पर वहाँ उसे लोगों का व्यवहार कुछ अजीब लगा. एक आदमी शॉप में आया औरउसने दो कॉफ़ी के पैसे देते हुए कहा, “दो कप कॉफ़ी, एक मेरे लिए औरएक उस दीवार पर ।” व्यक्ति दीवार की तरफ देखने लगालेकिन उसे वहाँ कोईनज़र नहीं आया, पर फिर भी उसआदमी को कॉफ़ी देने के बाद वेटर दीवार के पास गया और उस पर कागज़ का एकटुकड़ा चिपका दिया, जिसपर “एक कप कॉफ़ी” लिखा था. व्यक्ति समझ नहीं पाया कि आखिर माजरा क्या है. उसने सोचा कि कुछ देर और बैठता हूँ, और समझने की कोशिश करता हूँ. थोड़ीदेर बाद एक गरीब मजदूर वहाँ आया,उसके कपड़े फटे-पुराने थेपर फिर भी वह पुरे आत्म-विश्वा...

💞 बड़ी सोच का बड़ा जादू 💞अपने सपने पुरे करने हैं तो दुसरो को उनके सपने पुरे करने में मदद करो!एक बार पचास लोगों का ग्रुप किसीसेमीनार में हिस्सा ले रहा था। सेमीनार शुरूहुए अभी कुछ ही मिनट बीते थे कि स्पीकर अचानक ही रुका और सभी पार्टिसिपेंट्स को गुब्बारेदेते हुए बोला,“आप सभी को गुब्बारे पर इस मार्कर सेअपना नाम लिखना है।”सभी ने ऐसा ही किया। अब गुब्बारोंको एक दुसरे कमरे में रख दिया गया। स्पीकर ने अब सभी को एक साथ कमरे में जाकर पांचमिनट के अंदर अपना नाम वालागुब्बारा ढूंढने के लिए कहा। सारे पार्टिसिपेंट्स तेजी से रूम मेंघुसे और पागलों की तरह अपना नाम वालागुब्बारा ढूंढने लगे। पर इस अफरा-तफरी में किसी को भीअपने नाम वाला गुब्बारा नहीं मिलपा रहा था. पांच मिनट बाद सभी को बाहर बुलालिया गया। स्पीकर बोला,“अरे! क्या हुआ, आप सभी खाली हाथ क्यों हैं ?क्या किसी को अपने नाम वाला गुब्बारा नहीं मिला ?”“नहीं ! हमने बहुत ढूंढा पर हमेशाकिसी और के नाम का ही गुब्बारा हाथ आया…”,एकपार्टिसिपेंट कुछ मायूस होते हुएबोला। “कोई बात नहीं, आप लोग एक बार फिर कमरे मेंजाइये, पर इस बार जिसे जो भी गुब्बारामिले उसे अपने हाथ में ले और उस व्यक्ति का नाम पुकारे जिसका नाम उसपर लिखाहुआ है।“, स्पीकर ने निर्दश दिया। एक बारफिर सभी पार्टिसिपेंट्स कमरे में गए, पर इस बार सब शांत थे, और कमरे में किसी तरह की अफरा-तफरी नहीं मचीहुई थी। सभी ने एक दुसरे को उनके नाम के गुब्बारेदिए और तीन मिनट में ही बाहरनिकले आये।स्पीकर ने गम्भीर होते हुए कहा, “बिलकुल यही चीज हमारे जीवन में भीहो रही है। हर कोई अपने लिए ही जी रहा है, उसे इससे कोई मतलब नहीं कि वह किस तरह औरों की मददकर सकता है, वह तो बस पागलों की तरह अपनी हीखुशियां ढूंढ रहा है, पर बहुत ढूंढने के बाद भी उसे कुछ नहीं मिलता, दोस्तों हमारी ख़ुशी दूसरों कीख़ुशी में छिपी हुई है। जब तुम औरों को उनकी खुशियां देना सीख जाओगे तो अपने आप हीतुम्हे तुम्हारीखुशियां मिलजाएँगी। और यही मानव-जीवन का उद्देश्य है।” और विनर्स सपोर्ट सिस्टम इसका सबसे बड़ा उदाहरण है जहाँहम अपने साथ आये लोगों के छोटे छोटे सपनो को पूरा कर जिंदगी का बड़े से बड़ा सपना भीबड़ी आसानी से पूरा कर सकते हैं.

💞 बड़ी सोच का बड़ा जादू 💞 अपने सपने पुरे करने हैं तो दुसरो को उनके सपने पुरे करने में मदद करो! एक बार पचास लोगों का ग्रुप किसीसेमीनार में हिस्सा ले रहा था। सेमीनार शुरूहुए अभी कुछ ही मिनट बीते थे कि स्पीकर अचानक ही रुका और सभी पार्टिसिपेंट्स को गुब्बारेदेते हुए बोला,“आप सभी को गुब्बारे पर इस मार्कर सेअपना नाम लिखना है।” सभी ने ऐसा ही किया। अब गुब्बारोंको एक दुसरे कमरे में रख दिया गया। स्पीकर ने अब सभी को एक साथ कमरे में जाकर पांचमिनट के अंदर अपना नाम वालागुब्बारा ढूंढने के लिए कहा। सारे पार्टिसिपेंट्स तेजी से रूम मेंघुसे और पागलों की तरह अपना नाम वालागुब्बारा ढूंढने लगे। पर इस अफरा-तफरी में किसी को भीअपने नाम वाला गुब्बारा नहीं मिलपा रहा था. पांच मिनट बाद सभी को बाहर बुलालिया गया। स्पीकर बोला,“अरे! क्या हुआ, आप सभी खाली हाथ क्यों हैं ?क्या किसी को अपने नाम वाला गुब्बारा नहीं मिला ?” “नहीं ! हमने बहुत ढूंढा पर हमेशाकिसी और के नाम का ही गुब्बारा हाथ आया…”,एकपार्टिसिपेंट कुछ मायूस होते हुएबोला। “कोई बात नहीं, आप लोग एक बार फिर कमरे मेंजाइये, पर इस बार जिसे जो भी गुब्बारामिले उसे अपने हा...

💞 बड़ी सोच का बड़ा जादू 💞 मुट्ठी भर मेढकबहुत समय पहलेकी बात है किसी गाँव में मोहन नाम का एक किसान रहता था. वह बड़ा मेहनती और ईमानदार था. अपने अच्छेव्यवहार के कारण दूर-दूर तक लोग उसे जानतेथे और उसकी प्रशंशा करते थे. पर एक दिन जब देर शाम वहखेतों से काम कर लौट रहा था तभी रास्ते में उसने कुछलोगों को बाते करते सुना, वे उसी के बारे में बात कररहे थे.मोहन अपनी प्रशंशा सुनने के लिएउन्हें बिना बतायेधीरे-धीरे उनके पीछेचलने लगा,पर उसने उनकी बात सुनी तो पाया किवे उसकी बुराईकर रहे थे, कोई कह रहा था कि, “मोहन घमण्डी है.”, तो कोई कह रहा था कि,“सबजानते हैं वो अच्छाहोने का दिखावा करता है.”मोहन ने इससे पहले सिर्फ अपनी प्रशंशा सुनी थी परइस घटना का उसके दिमाग पर बहुत बुरा असर पड़ा और अब वह जबभी कुछ लोगों को बाते करतेदेखता तो उसे लगता वेउसकी बुराई कर रहे हैं. यहाँ तक कि अगर कोई उसकी तारीफ़ करता तो भी उसे लगता कि उसका मजाक उड़ाया जा रहा है. धीरे-धीरे सभी ये महसूस करने लगे कि मोहन बदल गया है, और उसकी पत्नी भी अपने पति के व्यवहार में आये बदलाव सेदुखीरहने लगी और एक दिन उसनेपूछा,“आज-कल आप इतने परेशान क्यों रहते हैं ;कृपयामुझे इसका कारण बताइये.”मोहन ने उदास होते हुए उस दिन कीबात बता दी. पत्नी को भी समझ नहीं आया कि क्या किया जाए पर तभी उसे ध्यान आयाकि पास के ही एकगाँव में एक सिद्धमहात्मा आये हुए हैं, और वो बोली,“स्वामी, मुझे पता चला है कि पड़ोस के गाँव में एक पहुंचे हुए संत आये हैं । चलिये हम उनसेकोई समाधान पूछतेहैं.”अगले दिन वे महात्मा जी के शिविरमें पहुंचे. मोहन ने सारी घटना बतायी और बोला, महाराज उस दिन के बाद से सभी मेरीबुराई और झूठी प्रशंशा करते हैं, कृपया मुझे बताइये कि मैं वापस अपनी साख कैसे बना सकता हूँ !”महात्मा मोहन कि समस्या समझ चुके थे.“पुत्र तुम अपनी पत्नी को घर छोड़ आओ और आज रातमेरे शिविर में ठहरो.”, महात्मा कुछ सोचते हुए बोले. मोहन ने ऐसा ही किया, पर जब रात में सोने का समयहुआ तो अचानक ही मेढ़कों के टर्र-टर्र की आवाज आने लगी.मोहन बोला, “ये क्यामहाराज यहाँ इतनाकोलाहल क्यों है ?”“पुत्र,पीछे एक तालाब है, रात के वक़्त उसमेमौजूद मेढक अपना राग अलापने लगतेहैं !!!”“पर ऐसे में तो कोई यहाँ सो नहीं सकता ?,” मोहानने चिंता जताई।“हाँ बेटा, पर तुम ही बताओ हम क्याकर सकते हैं,हो सके तो तुम हमारीमदद करो”,महात्मा जी बोले.मोहन बोला, “ठीक है महाराज, इतना शोर सुनके लगताहै इन मेढकों की संख्या हज़ारों में होगी, मैं कल ही गांव से पचास-साठमजदूरों कोलेकर आता हूँ और इन्हेपकड़ कर दूर नदी में छोड़ आता हूँ.”और अगले दिन मोहन सुबह-सुबहमजदूरों के साथ वहाँपंहुचा, महात्मा जी भी वहीँखड़े सब कुछ देख रहे थे. तालाब जयादा बड़ा नहीं था, 8-10 मजदूरों ने चारोंऔर से जाल डाला औरमेढ़कों को पकड़ने लगे. थोड़ी देर की ही मेहनत में सारे मेढक पकड़ लिए गए.जब मोहन ने देखा कि कुल मिला कर 50-60 ही मेढक पकड़े गए हैं तब उसने माहत्मा जी से पूछा, “महाराज, कल रात तो इसमें हज़ारोंमेढक थे,भला आज वे सब कहाँ चले गए, यहाँ तो बस मुट्ठी भर मेढक ही बचे हैं.”महात्मा जी गम्भीर होते हुए बोले, “कोई मेढक कहीं नहीं गया, तुमने कल इन्ही मेढ़कोंकी आवाज सुनी थी, ये मुट्ठी भर मेढक हीइतना शोर कररहे थे कि तुम्हे लगा हज़ारों मेढक टर्र-टर्र कर रहे हों. पुत्र, इसी प्रकार जबतुमनेकुछ लोगों को अपनी बुराई करते सुना तो भी तुम यही गलती कर बैठे, तुम्हेलगा कि हर कोई तुम्हारीबुराई करता है पर सच्चाई ये है कि बुराई करने वाले लोगमुठ्ठी भर मेढक केसामान ही थे. इसलिए अगली बार किसी को अपनी बुराई करते सुनना तो इतना याद रखना कि होसकता है ये कुछ ही लोग हों जो ऐसा कर रहे हों, और इस बात को भी समझना कि भले तुम कितने ही अच्छे क्यों न हो ऐसे कुछ लोग होंगे ही होंगे जोतुम्हारी बुराई करेंगे।”अब मोहन को अपनी गलती का अहसास होचुका था,वहपुनः पुराना वाला मोहन बन चुका था.दोस्तों, मोहन की तरह हमें भीकुछ लोगों के व्यवहार को हर किसी काव्यवहार नहीं समझ लेना चाहिए और सकारात्मक नजरिये औरसोंच सेअपनी ज़िन्दगी जीनी चाहिए। हमकुछ भी कर लें पर जिंदगी में कभी ना कभी ऐसी समस्या आ ही जाती है जो रात के अँधेरे में ऐसी लगती है मानो हज़ारों मेढक कानमें टर्र-टर्र कररहे हों। पर जब दिन केउजाले में हम उसका समाधान करने का प्रयास करते हैं तो वहीसमस्या छोटी लगने लगती है. इसलिए हमें ऐसी स्थिति मेंघबराने की जगह उसकासमाधान खोजने का प्रयास करना चाहिए और कभी मुट्ठी भरमेढकों से घबराना नहींचाहिए.

💞 बड़ी सोच का बड़ा जादू 💞           मुट्ठी भर मेढक बहुत समय पहलेकी बात है किसी गाँव में मोहन नाम का एक किसान रहता था. वह बड़ा मेहनती और ईमानदार था. अपने अच्छेव्यवहार के कारण दूर-दूर तक लोग उसे जानतेथे और उसकी प्रशंशा करते थे. पर एक दिन जब देर शाम वहखेतों से काम कर लौट रहा था तभी रास्ते में उसने कुछलोगों को बाते करते सुना, वे उसी के बारे में बात कररहे थे. मोहन अपनी प्रशंशा सुनने के लिएउन्हें बिना बतायेधीरे-धीरे उनके पीछेचलने लगा,पर उसने उनकी बात सुनी तो पाया किवे उसकी बुराईकर रहे थे, कोई कह रहा था कि, “मोहन घमण्डी है.”, तो कोई कह रहा था कि,“सबजानते हैं वो अच्छाहोने का दिखावा करता है.” मोहन ने इससे पहले सिर्फ अपनी प्रशंशा सुनी थी परइस घटना का उसके दिमाग पर बहुत बुरा असर पड़ा और अब वह जबभी कुछ लोगों को बाते करतेदेखता तो उसे लगता वेउसकी बुराई कर रहे हैं. यहाँ तक कि अगर कोई उसकी तारीफ़ करता तो भी उसे लगता कि उसका मजाक उड़ाया जा रहा है. धीरे-धीरे सभी ये महसूस करने लगे कि मोहन बदल गया है, और उसकी पत्नी भी अपने पति के व्यवहार में आये बदलाव सेदुखीरहने लगी और एक...

💞 बड़ी सोच का बड़ा जादू 💞

मुट्ठी भर मेढक , बहुत समय पहलेकी बात है किसी गाँव में मोहन नाम का एक किसान रहता था. वह बड़ा मेहनती और ईमानदार था. अपने अच्छेव्यवहार के कारण दूर-दूर तक लोग उसे जानतेथे और उसकी प्रशंशा करते थे. पर एक दिन जब देर शाम वहखेतों से काम कर लौट रहा था तभी रास्ते में उसने कुछलोगों को बाते करते सुना, वे उसी के बारे में बात कररहे थे. मोहन अपनी प्रशंशा सुनने के लिएउन्हें बिना बतायेधीरे-धीरे उनके पीछेचलने लगा,पर उसने उनकी बात सुनी तो पाया किवे उसकी बुराईकर रहे थे, कोई कह रहा था कि, “मोहन घमण्डी है.”, तो कोई कह रहा था कि,“सबजानते हैं वो अच्छाहोने का दिखावा करता है.” मोहन ने इससे पहले सिर्फ अपनी प्रशंशा सुनी थी परइस घटना का उसके दिमाग पर बहुत बुरा असर पड़ा और अब वह जबभी कुछ लोगों को बाते करतेदेखता तो उसे लगता वेउसकी बुराई कर रहे हैं. यहाँ तक कि अगर कोई उसकी तारीफ़ करता तो भी उसे लगता कि उसका मजाक उड़ाया जा रहा है. धीरे-धीरे सभी ये महसूस करने लगे कि मोहन बदल गया है, और उसकी पत्नी भी अपने पति के व्यवहार में आये बदलाव सेदुखीरहने लगी और एक दिन उसनेपूछा,“आज-कल आप इतने परेशान क्यों रहते हैं ;कृपयामुझ...

💞बड़ी सोच का बड़ा जादू💞 क्रोध त्यागना जरुरी है!By वनिता कासनियां पंजाब 🚩🌹🙏🙏🌹🚩 जापान के ओसाका शहर केनिकट किसी गाँव में एक जेन मास्टर रहते थे। उनकी ख्याति पूरेदेश में फैली हुई थी और दूर-दूर से लोग उनसे मिलने और अपनी समस्याओं का समाधान कराने आते थे।एक दिन की बात है मास्टर अपने एकअनुयायी के साथप्रातः काल सैर कर रहे थे कि अचानक ही एक व्यक्ति उनके पास आया औरउन्हें भला-बुराकहने लगा। उसने पहले मास्टर के लिए बहुत से अपशब्द कहे, पर बावजूद इसकेमास्टर मुस्कुराते हुएचलते रहे। मास्टर को ऐसा करता देख वह व्यक्ति और भी क्रोधित हो गयाऔर उनके पूर्वजों तक को अपमानित करने लगा। पर इसके बावजूद मास्टरमुस्कुराते हुएआगे बढ़ते रहे। मास्टर पर अपनी बातों का कोई असर ना होते हुए देखअंततः वह वयक्तिनिराश हो गया और उनके रास्ते से हट गया।उस वयक्ति के जाते ही अनुयायी नेआस्चर्य से पुछा,“मास्टर आपने भला उस दुष्ट की बातों का जवाब क्यों नहीं दिया, और तो और आप मुस्कुराते रहे,क्या आपको उसकी बातों से कोई कष्टनहीं पहुंचा ?”जेन मास्टर कुछ नहीं बोले और उसेअपने पीछे आने का इशारा किया।कुछ देर चलने के बाद वे मास्टर केकक्ष तक पहुँच गए।मास्टर बोले,“तुम यहीं रुको मैं अंदर से अभीआया।“मास्टर कुछ देर बाद एक मैले कपड़े लेकर बाहर आये औरउसे अनुयायी को थमाते हुए बोले, “लो अपने कपड़े उतारकर इन्हे धारण कर लो ?”

💞बड़ी सोच का बड़ा जादू💞 क्रोध त्यागना जरुरी है! By वनिता कासनियां पंजाब 🚩🌹🙏🙏🌹🚩 जापान के ओसाका शहर केनिकट किसी गाँव में एक जेनमास्टर रहते थे। उनकी ख्याति पूरेदेश में फैली हुई थी और दूर-दूर से लोग उनसेमिलने और अपनीसमस्याओं का समाधान कराने आते थे। एक दिन की बात है मास्टर अपने एकअनुयायी के साथप्रातः काल सैर कर रहे थे कि अचानक ही एक व्यक्ति उनके पास आया औरउन्हें भला-बुराकहने लगा। उसने पहले मास्टर के लिए बहुत से अपशब्द कहे, पर बावजूद इसकेमास्टर मुस्कुराते हुएचलते रहे। मास्टर को ऐसा करता देख वह व्यक्ति और भी क्रोधित हो गयाऔर उनके पूर्वजों तक को अपमानित करने लगा। पर इसके बावजूद मास्टरमुस्कुराते हुएआगे बढ़ते रहे। मास्टर पर अपनी बातों का कोई असर ना होते हुए देखअंततः वह वयक्तिनिराश हो गया और उनके रास्ते से हट गया। उस वयक्ति के जाते ही अनुयायी नेआस्चर्य से पुछा,“मास्टर आपने भला उस दुष्ट की बातों का जवाब क्यों नहीं दिया, और तो और आप मुस्कुराते रहे,क्या आपको उसकी बातों से कोई कष्टनहीं पहुंचा ?” जेन मास्टर कुछ नहीं बोले और उसेअपने पीछे आने का इशारा किया। कुछ देर चलने के बाद वे मास्...

💞बड़ी सोच का बड़ा जादू 💞 नजरिया By वनिता कासनियां पंजाब मास्टर जी क्लास में पढ़ा रहे थे,तभी पीछे से दो बच्चों के आपस मेंझगड़ा करने की आवाज़ आने लगी।“क्या हुआ तुम लोग इस तरह झगड़ क्यों रहे हो ? ”, मास्टर जी ने पूछा।राहुल : सर,अमित अपनी बात को लेकर अड़ा है और मेरीसुनने को तैयार ही नहीं है।अमित : नहीं सर,राहुल जो कह रहा है वो बिलकुल गलत हैइसलिए उसकी बात सुनने से कोई फायदा नही। और ऐसा कह कर वे फिर तू-तू मैं-मैं करनेलगे।मास्टर जी ने उन्हें बीच में रोकते हुएकहा,”एक मिनट तुम दोनों यहाँ मेरे पास आजाओ। राहुल तुम डेस्क की बाईं और अमित तुम दाईं तरफ खड़े हो जाओ।“ इसके बाद मास्टरजी ने कवर्ड से एक बड़ी सी गेंद निकाली और डेस्क के बीचो-बीच रख दी।मास्टर जी : राहुल तुम बताओ, ये गेंद किस रंग की है।राहुल : जी ये सफ़ेद रंग की है।मास्टर जी : अमित तुम बताओ ये गेंद किसरंग की है ?अमित : जी ये बिलकुल काली है।दोनों ही अपने जवाब को लेकर पूरी तरह कॉंफिडेंटथे की उनका जवाब सही है,औरएक बार फिर वे गेंद के रंग को लेकर एक दुसरे से बहस करने लगे.मास्टर जी ने उन्हें शांत कराते हुएकहा,“ठहरो,अब तुम दोनों अपने अपने स्थान बदल लोऔर फिर बताओ की गेंद किस रंग की है ?”दोनों ने ऐसा ही किया,पर इस बार उनके जवाब भी बदल चुके थे। राहुल ने गेंद का रंग काला तोअमित ने सफ़ेद बताया।अब मास्टर जी गंभीर होते हुए बोले,बच्चों ये गेंद दो रंगो से बनी है औरजिस तरह यह एक जगह से देखने पे काली और दूसरी जगह से देखने पर सफ़ेद दिखती है उसीप्रकार हमारे जीवन में भी हर एक चीज को अलग अलग दृष्टिकोण से देखा जा सकता है। येज़रूरी नहीं है की जिस तरह से आप किसी चीज को देखते हैं उसी तरह दूसरा भी उसे देखे.इसलिए अगर कभी हमारे बीच विचारों को लेकर मतभेद हो तो ये ना सोचें की सामने वालाबिलकुल गलत है बल्कि चीजों को उसके नज़रिये से देखने और उसे अपना नजरिया समझाने काप्रयास करें। तभी आप एक अर्थपूर्ण संवाद कर सकते हैं।

💞बड़ी सोच का बड़ा जादू 💞                  नजरिया By  वनिता कासनियां पंजाब मास्टर जी क्लास में पढ़ा रहे थे,तभी पीछे से दो बच्चों के आपस मेंझगड़ा करने की आवाज़ आने लगी। “क्या हुआ तुम लोग इस तरह झगड़ क्यों रहे हो ? ”, मास्टर जी ने पूछा। राहुल : सर,अमित अपनी बात को लेकर अड़ा है और मेरीसुनने को तैयार ही नहीं है। अमित : नहीं सर,राहुल जो कह रहा है वो बिलकुल गलत हैइसलिए उसकी बात सुनने से कोई फायदा नही। और ऐसा कह कर वे फिर तू-तू मैं-मैं करनेलगे। मास्टर जी ने उन्हें बीच में रोकते हुएकहा,”एक मिनट तुम दोनों यहाँ मेरे पास आजाओ। राहुल तुम डेस्क की बाईं और अमित तुम दाईं तरफ खड़े हो जाओ।“ इसके बाद मास्टरजी ने कवर्ड से एक बड़ी सी गेंद निकाली और डेस्क के बीचो-बीच रख दी। मास्टर जी : राहुल तुम बताओ, ये गेंद किस रंग की है। राहुल : जी ये सफ़ेद रंग की है। मास्टर जी : अमित तुम बताओ ये गेंद किसरंग की है ? अमित : जी ये बिलकुल काली है। दोनों ही अपने जवाब को लेकर पूरी तरह कॉंफिडेंटथे की उनका जवाब सही है,औरएक बार फिर वे गेंद के रंग को लेकर एक दुसरे से बहस करने लगे. मास्टर...

💞बड़ी सोच का बड़ा जादू💞 खुद पर विस्वास करने वाला हमेशा सफल होता है... By वनिता कासनियां पंजाब 🚩🌹🙏🙏🌹🚩बुलाकी एक बहुत मेहनती किसान था। कड़कतीधूप में उसने और उसके परिवार के अन्य सदस्यों ने रात दिन खेतों में काम कियाऔर परिणामस्वरूप बहुत अच्छी फ़सल हुई। अपने हरे भरे खेतों को देख कर उसकी छाती खुशी से फूल रहीथी क्योंकि फसल काटने का समय आ गया था। इसी बीच उसके खेत में एकचिड़िया ने एकघौंसला बना लिया था। उसके नन्हें मुन्ने चूज़े अभी बहुत छोटे थे।एक दिन बुलाकी अपने बेटे मुरारी के साथखेत परआया और बोला, “बेटा ऐसा करो कि अपने सभी रिश्तेदारों को निमन्त्रण दोकि वो अगले शनिवार को आकर फ़सल काटने में हमारी सहायता करें।” येसुनकर चिड़ियाके बच्चे बहुत घबराए और माँ से कहने लगे कि हमारा क्या होगा। अभी तो हमारेपर भीपूरी तरह से उड़ने लायक नहीं हुए हैं। चिड़िया ने कहा, तुम चिन्ता मत करो. अगले शनिवार को जबबाप बेटे खेत पर पहुचे तो वहाँ कोई भी रिश्तेदार नहीं पहुँचा था। दोनोंको बहुत निराशा हुई बुलाकी ने मुरारी से कहा कि लगता है हमारेरिश्तेदार हमारेसे ईर्ष्या करते हैं, इसीलिए नहीं आए।अब तुम सब मित्रों को ऐसा ही निमन्त्रणअगले हफ़्तेके लिए दे दो। चिड़िया और उसके बच्चों की वही कहानी फिर दोहराई गई और चिड़ियाने वही जवाब दिया। अगले हफ़्ते भी जब दोनों बाप बेटे खेत पर पहुचे तोकोई भी मित्र सहायता करने नहीं आया तो बुलाकी ने मुरारी से कहाकि बेटा देखा तुम ने, जो इन्सान दूसरों का सहारा लेकर जीना चहता है उसकायही हाल होता है और उसे सदा निराशा ही मिलती है।अब तुम बाज़ार जाओ और फसल काटने का सारा सामान ले आओ,कलसे इस खेत को हम दोनों मिल कर काटेंगे। चिड़िया ने जब यह सुना तो बच्चों सेकहने लगीकि चलो, अब जाने का समय आ गया है. जब इन्सान अपने बाहूबल पर अपना काम स्वयं करनेकी प्रतिज्ञा कर लेता है तो फिर उसे न किसी के सहारे की ज़रूरत पड़ती है और नही उसे कोईरोक सकता है। इसी को कहते हैं बच्चो कि, “अपना हाथजगन्नाथ।” इससे पहले कि बाप बेटे फसल काटने आएँ, चिड़िया अपने बच्चों को लेकर एकसुरक्षित स्थान पर ले गई।

💞बड़ी सोच का बड़ा जादू💞 खुद पर विस्वास करने वाला हमेशा सफल होता है... By वनिता कासनियां पंजाब  🚩🌹🙏🙏🌹🚩 बुलाकी एक बहुत मेहनती किसान था। कड़कतीधूप में उसने और उसके परिवार के अन्य सदस्यों ने रात दिन खेतों में काम कियाऔर परिणामस्वरूप बहुत अच्छी फ़सल हुई। अपने हरे भरे खेतों को देख कर उसकी छाती खुशी से फूल रहीथी क्योंकि फसल काटने का समय आ गया था। इसी बीच उसके खेत में एकचिड़िया ने एकघौंसला बना लिया था। उसके नन्हें मुन्ने चूज़े अभी बहुत छोटे थे। एक दिन बुलाकी अपने बेटे मुरारी के साथखेत परआया और बोला, “बेटा ऐसा करो कि अपने सभी रिश्तेदारों को निमन्त्रण दोकि वो अगले शनिवार को आकर फ़सल काटने में हमारी सहायता करें।” येसुनकर चिड़ियाके बच्चे बहुत घबराए और माँ से कहने लगे कि हमारा क्या होगा। अभी तो हमारेपर भीपूरी तरह से उड़ने लायक नहीं हुए हैं। चिड़िया ने कहा, तुम चिन्ता मत करो. अगले शनिवार को जबबाप बेटे खेत पर पहुचे तो वहाँ कोई भी रिश्तेदार नहीं पहुँचा था। दोनोंको बहुत निराशा हुई बुलाकी ने मुरारी से कहा कि लगता है हमारेरिश्तेदार हमारेसे ईर्ष्या करते हैं, इसीलिए नहीं आए। अब तुम सब मि...

💞बड़ी सोच का बड़ा जादू💞 खुद पर विस्वास करने वाला हमेशा सफल होता है... By वनिता कासनियां पंजाब 🚩🌹🙏🙏🌹🚩बुलाकी एक बहुत मेहनती किसान था। कड़कतीधूप में उसने और उसके परिवार के अन्य सदस्यों ने रात दिन खेतों में काम कियाऔर परिणामस्वरूप बहुत अच्छी फ़सल हुई। अपने हरे भरे खेतों को देख कर उसकी छाती खुशी से फूल रहीथी क्योंकि फसल काटने का समय आ गया था। इसी बीच उसके खेत में एकचिड़िया ने एकघौंसला बना लिया था। उसके नन्हें मुन्ने चूज़े अभी बहुत छोटे थे।एक दिन बुलाकी अपने बेटे मुरारी के साथखेत परआया और बोला, “बेटा ऐसा करो कि अपने सभी रिश्तेदारों को निमन्त्रण दोकि वो अगले शनिवार को आकर फ़सल काटने में हमारी सहायता करें।” येसुनकर चिड़ियाके बच्चे बहुत घबराए और माँ से कहने लगे कि हमारा क्या होगा। अभी तो हमारेपर भीपूरी तरह से उड़ने लायक नहीं हुए हैं। चिड़िया ने कहा, तुम चिन्ता मत करो. अगले शनिवार को जबबाप बेटे खेत पर पहुचे तो वहाँ कोई भी रिश्तेदार नहीं पहुँचा था। दोनोंको बहुत निराशा हुई बुलाकी ने मुरारी से कहा कि लगता है हमारेरिश्तेदार हमारेसे ईर्ष्या करते हैं, इसीलिए नहीं आए।अब तुम सब मित्रों को ऐसा ही निमन्त्रणअगले हफ़्तेके लिए दे दो। चिड़िया और उसके बच्चों की वही कहानी फिर दोहराई गई और चिड़ियाने वही जवाब दिया। अगले हफ़्ते भी जब दोनों बाप बेटे खेत पर पहुचे तोकोई भी मित्र सहायता करने नहीं आया तो बुलाकी ने मुरारी से कहाकि बेटा देखा तुम ने, जो इन्सान दूसरों का सहारा लेकर जीना चहता है उसकायही हाल होता है और उसे सदा निराशा ही मिलती है।अब तुम बाज़ार जाओ और फसल काटने का सारा सामान ले आओ,कलसे इस खेत को हम दोनों मिल कर काटेंगे। चिड़िया ने जब यह सुना तो बच्चों सेकहने लगीकि चलो, अब जाने का समय आ गया है. जब इन्सान अपने बाहूबल पर अपना काम स्वयं करनेकी प्रतिज्ञा कर लेता है तो फिर उसे न किसी के सहारे की ज़रूरत पड़ती है और नही उसे कोईरोक सकता है। इसी को कहते हैं बच्चो कि, “अपना हाथजगन्नाथ।” इससे पहले कि बाप बेटे फसल काटने आएँ, चिड़िया अपने बच्चों को लेकर एकसुरक्षित स्थान पर ले गई।,

💞बड़ी सोच का बड़ा जादू💞 खुद पर विस्वास करने वाला हमेशा सफल होता है... By वनिता कासनियां पंजाब 🚩🌹🎁🙏🌹🚩 बुलाकी एक बहुत मेहनती किसान था। कड़कतीधूप में उसने और उसके परिवार के अन्य सदस्यों ने रात दिन खेतों में काम कियाऔर परिणामस्वरूप बहुत अच्छी फ़सल हुई। अपने हरे भरे खेतों को देख कर उसकी छाती खुशी से फूल रहीथी क्योंकि फसल काटने का समय आ गया था। इसी बीच उसके खेत में एकचिड़िया ने एकघौंसला बना लिया था। उसके नन्हें मुन्ने चूज़े अभी बहुत छोटे थे। एक दिन बुलाकी अपने बेटे मुरारी के साथखेत परआया और बोला, “बेटा ऐसा करो कि अपने सभी रिश्तेदारों को निमन्त्रण दोकि वो अगले शनिवार को आकर फ़सल काटने में हमारी सहायता करें।” येसुनकर चिड़ियाके बच्चे बहुत घबराए और माँ से कहने लगे कि हमारा क्या होगा। अभी तो हमारेपर भीपूरी तरह से उड़ने लायक नहीं हुए हैं। चिड़िया ने कहा, तुम चिन्ता मत करो. अगले शनिवार को जबबाप बेटे खेत पर पहुचे तो वहाँ कोई भी रिश्तेदार नहीं पहुँचा था। दोनोंको बहुत निराशा हुई बुलाकी ने मुरारी से कहा कि लगता है हमारेरिश्तेदार हमारेसे ईर्ष्या करते हैं, इसीलिए नहीं आए। अब तुम सब मित्रों को ऐसा ही न...

बड़ी सोच का बड़ा जादू कल की सोच रखने वाले ही कुछ बड़ा करते हैं. By वनिता कासनियां पंजाब.🚩🌹🙏🙏🌹🚩 कुंतालपुर का राजा बड़ा ही न्याय प्रिय था| वह अपनी प्रजा के दुख-दर्द में बराबर काम आता था| प्रजा भी उसका बहुत आदर करती थी| एक दिन राजा गुप्त वेष में अपने राज्य में घूमने निकला तब रास्ते में देखता है कि एक वृद्ध एक छोटा सा पौधा रोप रहा है| राजा कौतूहलवश उसके पास गया और बोला, ‘‘यह आप किस चीज का पौधा लगा रहे हैं ?’’ वृद्ध ने धीमें स्वर में कहा, ‘‘आम का|’’ राजा ने हिसाब लगाया कि उसके बड़े होने और उस पर फल आने में कितना समय लगेगा| हिसाब लगाकर उसने अचरज से वृद्ध की ओर देखा और कहा, ‘‘सुनो दादा इस पौधै के बड़े होने और उस पर फल आने मे कई साल लग जाएंगे, तब तक तुम क्या जीवित रहोगे?’’ वृद्ध ने राजा की ओर देखा| राजा की आँखों में मायूसी थी| उसे लग रहा था कि वह वृद्ध ऐसा काम कर रहा है, जिसका फल उसे नहीं मिलेगा| यह देखकर वृद्ध ने कहा, ‘‘आप सोच रहें होंगे कि मैं पागलपन का काम कर रहा हूँ| जिस चीज से आदमी को फायदा नहीं पहुँचता, उस पर मेहनत करना बेकार है, लेकिन यह भी तो सोचिए कि इस बूढ़े ने दूसरों की मेहनत का कितना फायदा उठाया है ? दूसरों के लगाए पेड़ों के कितने फल अपनी जिंदगी में खाए हैं ? क्या उस कर्ज को उतारने के लिए मुझे कुछ नहीं करना चाहिए? क्या मुझे इस भावना से पेड़ नहीं लगाने चाहिए कि उनके फल दूसरे लोग खा सकें? जो केवल अपने लाभ के लिए ही काम करता है, वह तो स्वार्थी वृत्ति का मनुष्य होता है|’’ वृद्ध की यह दलील सुनकर राजा प्रसन्न हो गया , आज उसे भी कुछ बड़ा सीखने को मिला था !

 बड़ी सोच का बड़ा जादू कल की सोच रखने वाले ही कुछ बड़ा करते हैं. By वनिता कासनियां पंजाब.🚩🌹🙏🙏🌹🚩 कुंतालपुर का राजा बड़ा ही न्याय प्रिय था| वह अपनी प्रजा के दुख-दर्द में बराबर काम आता था| प्रजा भी उसका बहुत आदर करती थी| एक दिन राजा गुप्त वेष में अपने राज्य में घूमने निकला तब रास्ते में देखता है कि एक वृद्ध एक छोटा सा पौधा रोप रहा है| राजा कौतूहलवश उसके पास गया और बोला, ‘‘यह आप किस चीज का पौधा लगा रहे हैं ?’’ वृद्ध ने धीमें स्वर में कहा, ‘‘आम का|’’ राजा ने हिसाब लगाया कि उसके बड़े होने और उस पर फल आने में कितना समय लगेगा| हिसाब लगाकर उसने अचरज से वृद्ध की ओर देखा और कहा, ‘‘सुनो दादा इस पौधै के बड़े होने और उस पर फल आने मे कई साल लग जाएंगे, तब तक तुम क्या जीवित रहोगे?’’ वृद्ध ने राजा की ओर देखा| राजा की आँखों में मायूसी थी| उसे लग रहा था कि वह वृद्ध ऐसा काम कर रहा है, जिसका फल उसे नहीं मिलेगा| यह देखकर वृद्ध ने कहा, ‘‘आप सोच रहें होंगे कि मैं पागलपन का काम कर रहा हूँ| जिस चीज से आदमी को फायदा नहीं पहुँचता, उस पर मेहनत करना बेकार है, लेकिन यह भी तो सोचिए कि इस बूढ़े ने दूसरों की मे...