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बड़ी सोच का बड़ा जादू कल की सोच रखने वाले ही कुछ बड़ा करते हैं. By वनिता कासनियां पंजाब.🚩🌹🙏🙏🌹🚩 कुंतालपुर का राजा बड़ा ही न्याय प्रिय था| वह अपनी प्रजा के दुख-दर्द में बराबर काम आता था| प्रजा भी उसका बहुत आदर करती थी| एक दिन राजा गुप्त वेष में अपने राज्य में घूमने निकला तब रास्ते में देखता है कि एक वृद्ध एक छोटा सा पौधा रोप रहा है| राजा कौतूहलवश उसके पास गया और बोला, ‘‘यह आप किस चीज का पौधा लगा रहे हैं ?’’ वृद्ध ने धीमें स्वर में कहा, ‘‘आम का|’’ राजा ने हिसाब लगाया कि उसके बड़े होने और उस पर फल आने में कितना समय लगेगा| हिसाब लगाकर उसने अचरज से वृद्ध की ओर देखा और कहा, ‘‘सुनो दादा इस पौधै के बड़े होने और उस पर फल आने मे कई साल लग जाएंगे, तब तक तुम क्या जीवित रहोगे?’’ वृद्ध ने राजा की ओर देखा| राजा की आँखों में मायूसी थी| उसे लग रहा था कि वह वृद्ध ऐसा काम कर रहा है, जिसका फल उसे नहीं मिलेगा| यह देखकर वृद्ध ने कहा, ‘‘आप सोच रहें होंगे कि मैं पागलपन का काम कर रहा हूँ| जिस चीज से आदमी को फायदा नहीं पहुँचता, उस पर मेहनत करना बेकार है, लेकिन यह भी तो सोचिए कि इस बूढ़े ने दूसरों की मेहनत का कितना फायदा उठाया है ? दूसरों के लगाए पेड़ों के कितने फल अपनी जिंदगी में खाए हैं ? क्या उस कर्ज को उतारने के लिए मुझे कुछ नहीं करना चाहिए? क्या मुझे इस भावना से पेड़ नहीं लगाने चाहिए कि उनके फल दूसरे लोग खा सकें? जो केवल अपने लाभ के लिए ही काम करता है, वह तो स्वार्थी वृत्ति का मनुष्य होता है|’’ वृद्ध की यह दलील सुनकर राजा प्रसन्न हो गया , आज उसे भी कुछ बड़ा सीखने को मिला था !

 बड़ी सोच का बड़ा जादू

कल की सोच रखने वाले ही कुछ बड़ा करते हैं.

By वनिता कासनियां पंजाब.🚩🌹🙏🙏🌹🚩

कुंतालपुर का राजा बड़ा ही न्याय प्रिय था| वह अपनी प्रजा के दुख-दर्द में बराबर काम आता था| प्रजा भी उसका बहुत आदर करती थी| एक दिन राजा गुप्त वेष में अपने राज्य में घूमने निकला तब रास्ते में देखता है कि एक वृद्ध एक छोटा सा पौधा रोप रहा है|


राजा कौतूहलवश उसके पास गया और बोला, ‘‘यह आप किस चीज का पौधा लगा रहे हैं ?’’ वृद्ध ने धीमें स्वर में कहा, ‘‘आम का|’’



राजा ने हिसाब लगाया कि उसके बड़े होने और उस पर फल आने में कितना समय लगेगा| हिसाब लगाकर उसने अचरज से वृद्ध की ओर देखा और कहा, ‘‘सुनो दादा इस पौधै के बड़े होने और उस पर फल आने मे कई साल लग जाएंगे, तब तक तुम क्या जीवित रहोगे?’’ वृद्ध ने राजा की ओर देखा| राजा की आँखों में मायूसी थी| उसे लग रहा था कि वह वृद्ध ऐसा काम कर रहा है, जिसका फल उसे नहीं मिलेगा|


यह देखकर वृद्ध ने कहा, ‘‘आप सोच रहें होंगे कि मैं पागलपन का काम कर रहा हूँ| जिस चीज से आदमी को फायदा नहीं पहुँचता, उस पर मेहनत करना बेकार है, लेकिन यह भी तो सोचिए कि इस बूढ़े ने दूसरों की मेहनत का कितना फायदा उठाया है ? दूसरों के लगाए पेड़ों के कितने फल अपनी जिंदगी में खाए हैं ? क्या उस कर्ज को उतारने के लिए मुझे कुछ नहीं करना चाहिए? क्या मुझे इस भावना से पेड़ नहीं लगाने चाहिए कि उनके फल दूसरे लोग खा सकें? जो केवल अपने लाभ के लिए ही काम करता है, वह तो स्वार्थी वृत्ति का मनुष्य होता है|’’


वृद्ध की यह दलील सुनकर राजा प्रसन्न हो गया , आज उसे भी कुछ बड़ा सीखने को मिला था !




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💞 बड़ी सोच का बड़ा जादू 💞 जिंदगी की तीन सीखें!बहुत समय पहले की बात है, सुदूर दक्षिणमें किसी प्रतापी राजा का राज्य था. राजा के तीन पुत्र थे, एक दिन राजा केमन में आया कि पुत्रों को कुछ ऐसी शिक्षा दी जाये कि समयआने पर वो राज-काज सम्भाल सकें. इसी विचार के साथ राजा ने सभी पुत्रों को दरबारमें बुलाया और बोला, “पुत्रों, हमारे राज्यमें नाशपाती का कोई वृक्ष नहीं है, मैं चाहता हूँ तुमसब चार-चार महीने के अंतराल पर इस वृक्ष की तलाश में जाओ और पता लगाओ कि वो कैसा होता है ?” राजा की आज्ञा पा कर तीनो पुत्रबारी-बारी से गए और वापस लौट आये.सभी पुत्रों के लौट आने पर राजाने पुनः सभी को दरबार मेंबुलाया और उस पेड़ के बारे में बताने को कहा।पहला पुत्र बोला, “पिताजी वह पेड़तो बिलकुल टेढ़ा – मेढ़ा, और सूखा हुआ था.”“नहीं-नहीं वो तो बिलकुल हरा–भरा था, लेकिन शायद उसमे कुछ कमी थी क्योंकि उसपर एक भी फल नहीं लगा था.”, दुसरे पुत्र नेपहले को बीच में ही रोकते हुए कहा.फिर तीसरा पुत्र बोला, “भैया, लगता है आप भीकोई गलत पेड़ देख आये क्योंकि मैंने सचमुच नाशपाती का पेड़ देखा, वो बहुत हीशानदार था और फलों से लदा पड़ा था.”और तीनो पुत्र अपनी-अपनी बात कोलेकर आपस में विवाद करने लगे कि तभी राजा अपने सिंघासन से उठे और बोले, “पुत्रों, तुम्हे आपस में बहस करने की कोई आवश्यकता नहीं है, दरअसल तुम तीनोही वृक्ष का सही वर्णन कर रहे हो. मैंने जानबूझ कर तुम्हेअलग-अलग मौसम में वृक्ष खोजने भेजा था और तुमने जो देखा वो उसमौसम के अनुसार था.मैं चाहता हूँ कि इस अनुभव केआधार पर तुम तीन बातों को गाँठ बाँध लो :पहली, किसी चीज के बारे में सही और पूर्ण जानकारी चाहिए तो तुम्हे उसे लम्बेसमय तक देखना-परखना चाहिए. फिर चाहे वो कोई ब्यवसाय, विषय, वस्तु हो या फिर कोई व्यक्ति ही क्यों न हो ।दूसरी, हर मौसम एक सा नहीं होता, जिस प्रकार वृक्ष मौसम के अनुसारसूखता, हरा-भरा या फलों से लदा रहता है उसी प्रकार ब्यवसाय,मनुष्य के जीवन में भी उतार चढाव आते रहते हैं, अतः अगर तुम कभी भी बुरे दौर से गुजर रहे हो तो अपनी हिम्मत और धैर्य बनाये रखो, समय अवश्य बदलता है।और तीसरी बात, अपनी बात को ही सही मान कर उस पर अड़े मत रहो, अपना दिमागखोलो, और दूसरों के विचारों को भी जानो। यह संसारज्ञान से भरा पड़ा है, चाह कर भी तुम अकेले सारा ज्ञान अर्जित नहीं कर सकते, इसलिए भ्रम कीस्थिति में किसी ज्ञानी व्यक्ति से सलाह लेने में संकोच मत करो।

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